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भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने बाबासाहेब डॉक्टर बी आर अंबेडकर से प्रभावित होकर पंचतीर्थ कहा है


ऐसा पवित्र स्थान जहां जाकर हमारे अंदर 

पवित्रता का संचार हो और

हमारा जीवन निर्मल हो जाये, 'तीर्थ' कहलाता है।
                                                श्री  नरेंद्र  मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, 

भारत ने बाबासाहेब डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के जीवन एवं कार्य से जुड़े स्थलों को पंचतीर्थ की संज्ञा देकर हमें हमारे शलाका पुरुषों के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को एक नई दृष्टि से देखने तथा उन्हें संजोकर रखने की प्रेरणा दी है।


                   
                          यह पंचतीर्थ है: 

  जन्मभूमि

         महू इंदौर ,मध्य प्रदेश 

शिक्षा भूमि 

        लंदन में शिक्षा  दौरान निवास

दीक्षा भूमि

         नागपुर, बौद्ध धम्म को अपनाने का न

महापरिनिर्वाण भूमि

         दिल्ली निर्वाण, जहां अंतिम सांस ली ।

चैत्यभूमि 

      मुंबई दादर विश्राम स्थान जहां अंतिम संस्कार हुआ



1.  जन्मभूमि - महू, इन्दौर


सभी के जीवन में जन्मस्थान का बहुत महत्व होता है। लेकिन कुछ स्थान ऐसे होते हैं, जो महान व्यक्तियों के जन्म लेने से पावन हो जाते हैं, पवित्र हो जाते हैं। बाबासाहेब अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू में हुआ था। डॉ. अम्बेडकर के पिता श्री राम जी मालो जी सकपाल ब्रिटिश फौज की महार रेजिमेंट में सूबेदार मेजर थे। उनका जन्म एक सैन्य छावनी में हुआ जहां उनके पिता का निवास स्थान था। यह स्थान महू के काली पट्टन क्षेत्र में महू-मण्डलेश्वर राजमार्ग पर इन्दौर से मुम्बई की दिशा में अवस्थित है।

इसी स्थान पर बाबासाहेब की 100वीं जयंती पर 14 अप्रैल, 1991 को एक बौद्ध स्तूप के आकार का भव्य स्मारक बनाया गया। वास्तुकार श्री ई.डी. निमगड़े द्वारा अभिकल्पित यह स्मारक 4.52 एकड़ में फैला श्वेत पत्थर से बना वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में डॉ. अम्बेडकर के अनुयायी, बौद्ध धर्म (धम्म) के अनुयायी और

पर्यटक महू स्थित इस जन्मभूमि स्मारक पर पहुंचते हैं और श्रद्धा, उत्साह और उल्लास से ही डॉ बी आर अंबेडकर का स्मरण करते हैं। इसमें बाबा साहेब के जीवन का इतिहास छायाचित्रों के रूप में तो जीवंत है ही साथ ही उनकी विशाल प्रतिमा वहा उनकी उपस्थिति का अहसास कराती है। 
  11 अप्रैल, 2016 को श्री नरेंद्र मोदी माननीय प्रधानमंत्री भारत, ने भीम जन्मभूमि जाकर डॉक्टर बी आर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की और " पंचतीर्थ " की संकल्पना  राष्ट्र के सम्मुख प्रस्तुत की 6 दिसम्बर, 2021 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने भीम जन्मभूमि
को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया। यह जन्मभूनि आज समूचे विश्व के लिये आस्था स्थली बन गई है।

समाज के वंचित वर्गो मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया,  बाबा साहेब का संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।
       


2.   शिक्षा भूमि।  


अंबेडकर भवन  लंदन



शिक्षा किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास का आवश्यक अंग है। विपरीत परिस्थितियों से उबरकर श्रेष्ठतम शिक्षा प्राप्त करना । और उसका उपयोग देश के कल्याण के लिये करना प्रेरणादायी है। इस दृष्टि से वह स्थान जहां बाबा साहेब ने उपशिक्षा ग्रहण की हम सब के लिये प्रेरणादाई है है।

"शिक्षा भूमि उत्तरी लंदन का वह घर है जहां डॉ. अम्बेडकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉनिक्स में अध्ययन हेतु 1921-22 में रहे। यह 10, किंग हेनरी रोड पर स्थित एक चार मंजिला भवन है जिसे महाराष्ट्र शासन ने 40 करोड़ रुपये में खरीदा। 1991 में यह भवन ब्रिटेिश धरोहर घोषित किया गया और इस पर लिखा गया "डॉ. भीमराव राव अंबेडकर जी 1891-1956 सामाजिक न्याय के भारतीय योद्धा यहाँ रहते थे।"

ब्रिटेन में ऐसा सम्मान पाने वाले एकमात्र भारतीय होने का श्रेय डॉ. अम्बेडकर को प्राप्त है जिनकी स्मृति में लंदन का एक पूर्ण आवास-राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है। इस भवन में ही, अम्बेडकर के चित्र पुस्तकें व अन्य सामान है और उनके दीवारों पर उल्लिखित है।
श्री नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत ने 14 नवंबर, 2015 को लंदन में डॉ. अम्बेडकर स्मारक का उद्घाटन किया। माननीय प्रधानमंत्री की प्रेरणा से इसे संग्रहालय का रूप दिया गया और इसकी साज-सज्जा को संग्रहालय के अनुकूल बनाया गया। माननीय प्रधानमंत्री जी का दृष्टिकोण इस स्थान को एक ऐसे स्थल के रूप में विकसित करना है जहां पर समूचे विश्व के लोग भारत की आर्थिक सोच को अनुभव करने व जानने आ सकें। बाबासाहेब के अर्थशास्त्री स्वरूप को प्रदर्शित करने वाला यह स्मारक सभी भारतवासियों के लिये प्रेरणा स्थल है।

"अम्बेडकर का मानना था कि जीवन की परेशानियों शिक्षा के माध्यम से दूर किया जा
 सकता है। उन्होंने किसानों एवं श्रमिकों के कल्याण पर जोर दिया। विशिष्ट आर्थिक चिंतन वाले  डॉक्टर भीमराव अंबेडकर शिक्षा की ताकत पर विश्वास करते थे।"


3.दीक्षा भूमि-नागपुर।                       

दीक्षा हम सब के जीवन का वह अवसर है जहां से हमारा जीवन दिशा प्राप्त करता है। ध्येय प्राप्त करता है। सामाजिक न्याय और समानता के लिये अपने जीवन को समर्पित करने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण  पड़ाव दीक्षा प्राप्त करना था। "दीक्षाभूमि भमि है , वह भूमि है जहां बाबासाहेब ने धर्म बौद्ध धर्म की दीक्षा प्राप्त की।

 नागपुर शहर में चार एकड़ भूमि पर दीक्षा भूमि स्थित है जहां बाबासाहेब डॉ बी आर अंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को लगभग 600,000 अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया । इस तरह नागपुर में नव बौद्ध आंदोलन का सूत्रपात हुआ। यह स्थान भारत का एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ बन गया।

दीक्षा भूमि पर बनाया गुम्बद 120 फुट ऊंचा और लगभग इतना ही बड़ा है ।

इसके बीचो-बीच बुद्ध की सुंदर प्रतिमा है। दीक्षाभूमि के प्रांगण ने संविधान की एक मूल प्रतिलिपि भी रखी गयी है।
दीक्षा भूमि सामाजिक परिवर्तन, वैचारिक क्रांति और भावात्मक समर्पण की पुष्प स्थली है। करोड़ों नव बौद्धों के लिये एक ऐसा आस्था का स्थान है जहां से समाज और देश के प्रति सतत् कार्य करते रहने की ऊर्जा मिलती है।

14 अप्रैल, 2017 को श्री नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधानमंत्री भारत , डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की 124 वीं जयंती के अवसर पर दीक्षाभूमि जाकर श्रद्धा सुगन अर्पित किये हैं माननीय प्रधानमंत्री का सबका साथ सबका विकास का संकल्प दीक्षा भूमि से अभिप्रेरित संकल्प है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक देश के विकास का स्वप्न पहुंचे तथा उसकी हिस्सेदारी उसमें सनिश्चित हो हम सभी देशवासियों के लिये दीक्षा भूमि एक पुण्यस्थली है।

यह उनके लिये एक ऐसी प्रेरणास्थली है जो सामाजिक परिवर्तन क्रांति का मार्ग है। नवौद्ध पंथ के उद्धमस्थल के रूप में दीक्षा भूमि देश-विदेश के बौद्ध धर्म के अनुयायियों
 और पर्यटकों के लिए ज्ञान ,कर्म व पुण्य का समिश्रण प्रस्तुत करती है।

डॉ अम्बेडकर  संविधान के माध्यम से समाज को एक सूत्र में पिरोया हैं।

माननीय श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत,


4. महा निर्वाण - दिल्ली


व्यक्ति कितना भी महान हो जीवन मरण के बंधन से ही बधा  है। बहुत कम लोग इस दुनिया में ऐसे होते हैं जो लौकिक अर्धो से भले ही इस दुनिया से विदा हो जाये लेकिन अपने कार्यों से और अपने व्यक्तित्व के आलोक से अजर-अमर हो जाते हैं। बाबा साहेब अम्बेडकर एक ऐसे ही महामानव थे। महापरिनिर्वाण भूमि दिल्ली स्थल है जहां 6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहेब ने अंतिम सांस ली और महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुये।

13 अप्रैल, 2018 को बाबा साहेब आंबेडकर जी की जयंती की पूर्व संध्या पर श्री नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधानमंत्री भारत ने दिल्ली में 26, अलीपुर रोड स्थित डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक का उद्घाटन किया। यह राष्ट्रीय स्मारक एक खुली किताब (संविधान) के आकर में बना है। बगीचों ,फवारों के साथ वास्तुशिल्य के एक चमत्कार के रूप में निर्मित यह स्मारक अपनी बनावट और साज-सज्जा के कारण आकर्षण का केन्द्र है। यह स्मारक बाबा साहेब आंबेडकर की जीवन एवं यात्रा को सम्यक रूप में प्रदर्शित करता है तथा उनके सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक योगदान को स्मरण करता है।

श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत ने प्रयास किया कि सबके जीवन दर्शन तथा उनकी कृति को भारत का जन-जन समझे और आत्मसात करे। उन्होंने बाबासाहेब के आदर्शों को आत्मसात करते हुये उनकी कलपनाओं को कृति रूप में उभारा है। आज अगर भारत का हर व्यक्ति अपने आपको सशक्त और स्वावलंन महसूस करता है तो उसके पीछे बासाहेब की प्रेरणा और श्री नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधानमंत्री भारत का संकल्प ही है। यह महानिर्वाण भूमि भारतीयों के लिये सामाजिक समानता संकल्प स्थली है।

"डॉ अम्बेडकर ने उन सभी लोगों के लिए आवाज उठाई    जिन्हें अन्याय का सामना करना पड़ा ।"




श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत


5.चैत्य भूमि- मुम्बई। 



"चैत्य भूमि वह स्थान है जहां 6 दिसंबर 1956 को  बाबासाहेब को महानिर्वाण उपरांत दिल्ली से मुंबई  ला कर अंतिम संस्कार किया गया था। यह स्थान पहले दादर चौपाटी के रूप में जाना जाता था। चैत्य भूमि डॉ. अम्बेडकर के जीवन से जुड़े स्थानों में से एक है। डॉ. अम्बेडकर के अंतिम संस्कार के ऊपर बनाया गया दो मंजिला भवन स्तूप के आकार का है। इसके धार्मिक और दार्शनिक चिन्तन से प्रेरित है। डॉ. अम्बेडकर की अस्थियां मुख्य अवशेष, चैत्यभूमि में एक छोटे भूतल के कमरे में प्रतिस्थापित है। डॉ. अम्बेडकर और बुद्ध की मूर्तियां और चित्र भी  हैं, जो फूलों से सुसज्जित है।

द्वितीय तल पर सफेद मार्बल का गुम्बद बौद्ध भिक्षुओं के लिए आश्रय का घर  है। बौद्ध गुफाओं की तरह स्तूप बहुत  सुंदर बना हुआ है और उसका स्वरूप बहुत ही सरल है। इस स्मारक का उद्घाटन डॉक्टर अम्बेडकर की पुत्रीबधू श्रीमती यशवंत राव अबेडकर द्वारा 8 दिसम्बर 1971 को किया गया था।

वर्ष 2015 में भी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत के कर कमलों द्वारा इस स्मारक स्थल का भूमि पूजन हुआ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस तरह बाबासाहेब के आदर्शों को अपनाते हैं, सभी देशवासियों को अपने धेय के प्रति समर्पित होने का मंत्र दिया है वह स्पंदन  यंहा प्राप्त होता है। यह समर्पण स्थल के रूप में हमारे जीवन को संपादित करता है

"डॉ अम्बेडकर को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, यहाँ तक कि अपमान सहना पड़ा लेकिन उनमें ऐसी स्थिति से निपटने की ताकत
 थी।"                                          
                                   श्री  नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर अंतराष्ट्रीय केंद्र-दिल्ली


भारत के माननीय प्रधानमंत्री के कर कमलों द्वारा दिनांक 7 दिसम्बर, 2017 को डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र, 15 जनपथ, नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। माननीय प्रधानमंत्री ने इस केन्द्र को आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के क्षेत्र में अध्ययन, अनुराधान, विश्लेषण और नीति निर्माण हेतु 'उत्कृष्ट केन्द्र' के रूप में विकसित करने की परिकल्पना की है। इस केन्द्र का मुख्य उद्देश्य सम्यक और प्रामाणिक अनुमान द्वारा सामाजिक-राजनैतिक और आर्थिक असमंताओ को कम करना है।

इस आधुनिकतम केन्द्र का क्षेत्र दिल्ली के बीचों-बीच लगभग 3.25 एकड़ है और यह एक तीन मंजिला भवन है जिसमें प्रशासनिक ब्लॉक और अन्य सुविधा उपलब्ध है। इस भवन के बाहर  के हिस्से मे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे हैं जो इस स्थान की शोभा बढ़ाते हैं, डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर  की 18 फुट ऊंची एक विशाल प्रतिमा है, साथ ही एक छोटा एंफीथियटर ,दो चैत्य गुम्बद, लाल पत्थर के दो तोरण , बुध की प्रतिमा और इसके दांए ओर अशोक सतंभ हैं।


"बाबा साहेब आंबेडकर सिर्फ एक समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है।"

                       
                                    श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत

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